7وَإِذا تُتلىٰ عَلَيهِ آياتُنا وَلّىٰ مُستَكبِرًا كَأَن لَم يَسمَعها كَأَنَّ في أُذُنَيهِ وَقرًا ۖ فَبَشِّرهُ بِعَذابٍ أَليمٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजब उसे हमारी आयतें सुनाई जाती हैं तो वह स्वयं को बड़ा समझता हुआ पीठ फेरकर चल देता है, मानो उसने उन्हें सुना ही नहीं, मानो उसके काम बहरे है। अच्छा तो उसे एक दुखद यातना की शुभ सूचना दे दो