27وَلَو أَنَّما فِي الأَرضِ مِن شَجَرَةٍ أَقلامٌ وَالبَحرُ يَمُدُّهُ مِن بَعدِهِ سَبعَةُ أَبحُرٍ ما نَفِدَت كَلِماتُ اللَّهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ عَزيزٌ حَكيمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जितने दरख्त ज़मीन में हैं सब के सब क़लम बन जाएँ और समन्दर उसकी सियाही बनें और उसके (ख़त्म होने के) बाद और सात समन्दर (सियाही हो जाएँ और ख़ुदा का इल्म और उसकी बातें लिखी जाएँ) तो भी ख़ुदा की बातें ख़त्म न होगीं बेशक ख़ुदा सब पर ग़ालिब (और) दाना (बीना) है