83أَفَغَيرَ دينِ اللَّهِ يَبغونَ وَلَهُ أَسلَمَ مَن فِي السَّماواتِ وَالأَرضِ طَوعًا وَكَرهًا وَإِلَيهِ يُرجَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअब क्या इन लोगों को अल्लाह के दीन (धर्म) के सिवा किसी और दीन की तलब है, हालाँकि आकाशों और धरती में जो कोई भी है, स्वेच्छापूर्वक या विवश होकर उसी के आगे झुका हुआ है। और उसी की ओर सबको लौटना है?