69وَدَّت طائِفَةٌ مِن أَهلِ الكِتابِ لَو يُضِلّونَكُم وَما يُضِلّونَ إِلّا أَنفُسَهُم وَما يَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकिताबवालों में से एक गिरोह के लोगों की कामना है कि काश! वे तुम्हें पथभ्रष्ट कर सकें, जबकि वे केवल अपने-आपकों पथभ्रष्ट कर रहे है! किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं