25فَكَيفَ إِذا جَمَعناهُم لِيَومٍ لا رَيبَ فيهِ وَوُفِّيَت كُلُّ نَفسٍ ما كَسَبَت وَهُم لا يُظلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीफ़िर उनकी क्या गत होगी जब हम उनको एक दिन (क़यामत) जिसके आने में कोई शुबहा नहीं इक्ट्ठा करेंगे और हर शख्स को उसके किए का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उनकी किसी तरह हक़तल्फ़ी नहीं की जाएगी