19إِنَّ الدّينَ عِندَ اللَّهِ الإِسلامُ ۗ وَمَا اختَلَفَ الَّذينَ أوتُوا الكِتابَ إِلّا مِن بَعدِ ما جاءَهُمُ العِلمُ بَغيًا بَينَهُم ۗ وَمَن يَكفُر بِآياتِ اللَّهِ فَإِنَّ اللَّهَ سَريعُ الحِسابِफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्र) मालूम हो जाने के बाद (ही क्या है) और जिस शख्स ने ख़ुदा की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन ख़ुदा (उससे) बहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है