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Sura 3
Aya 186
186
۞ لَتُبلَوُنَّ في أَموالِكُم وَأَنفُسِكُم وَلَتَسمَعُنَّ مِنَ الَّذينَ أوتُوا الكِتابَ مِن قَبلِكُم وَمِنَ الَّذينَ أَشرَكوا أَذًى كَثيرًا ۚ وَإِن تَصبِروا وَتَتَّقوا فَإِنَّ ذٰلِكَ مِن عَزمِ الأُمورِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(मुसलमानों) तुम्हारे मालों और जानों का तुमसे ज़रूर इम्तेहान लिया जाएगा और जिन लोगो को तुम से पहले किताबे ख़ुदा दी जा चुकी है (यहूद व नसारा) उनसे और मुशरेकीन से बहुत ही दुख दर्द की बातें तुम्हें ज़रूर सुननी पड़ेंगी और अगर तुम (उन मुसीबतों को) झेल जाओगे और परहेज़गारी करते रहोगे तो बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है