وَلَقَد صَدَقَكُمُ اللَّهُ وَعدَهُ إِذ تَحُسّونَهُم بِإِذنِهِ ۖ حَتّىٰ إِذا فَشِلتُم وَتَنازَعتُم فِي الأَمرِ وَعَصَيتُم مِن بَعدِ ما أَراكُم ما تُحِبّونَ ۚ مِنكُم مَن يُريدُ الدُّنيا وَمِنكُم مَن يُريدُ الآخِرَةَ ۚ ثُمَّ صَرَفَكُم عَنهُم لِيَبتَلِيَكُم ۖ وَلَقَد عَفا عَنكُم ۗ وَاللَّهُ ذو فَضلٍ عَلَى المُؤمِنينَ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
बेशक खुदा ने (जंगे औहद में भी) अपना (फतेह का) वायदा सच्चा कर दिखाया था जब तुम उसके हुक्म से (पहले ही हमले में) उन (कुफ्फ़ार) को खूब क़त्ल कर रहे थे यहॉ तक की तुम्हारे पसन्द की चीज़ (फ़तेह) तुम्हें दिखा दी उसके बाद भी तुमने (माले ग़नीमत देखकर) बुज़दिलापन किया और हुक्में रसूल (मोर्चे पर जमे रहने) झगड़ा किया और रसूल की नाफ़रमानी की तुममें से कुछ तो तालिबे दुनिया हैं (कि माले ग़नीमत की तरफ़) से झुक पड़े और कुछ तालिबे आख़िरत (कि रसूल पर अपनी जान फ़िदा कर दी) फिर (बुज़दिलेपन ने) तुम्हें उन (कुफ्फ़ार) की की तरफ से फेर दिया (और तुम भाग खड़े हुए) उससे ख़ुदा को तुम्हारा (ईमान अख़लासी) आज़माना मंज़ूर था और (उसपर भी) ख़ुदा ने तुमसे दरगुज़र की और खुदा मोमिनीन पर बड़ा फ़ज़ल करने वाला है