111لَن يَضُرّوكُم إِلّا أَذًى ۖ وَإِن يُقاتِلوكُم يُوَلّوكُمُ الأَدبارَ ثُمَّ لا يُنصَرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदथोड़ा दुख पहुँचाने के अतिरिक्त वे तुम्हारा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकते। और यदि वे तुमसे लड़ेंगे, तो तुम्हें पीठ दिखा जाएँगे, फिर उन्हें कोई सहायता भी न मिलेगी