101وَكَيفَ تَكفُرونَ وَأَنتُم تُتلىٰ عَلَيكُم آياتُ اللَّهِ وَفيكُم رَسولُهُ ۗ وَمَن يَعتَصِم بِاللَّهِ فَقَد هُدِيَ إِلىٰ صِراطٍ مُستَقيمٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअब तुम इनकार कैसे कर सकते हो, जबकि तुम्हें अल्लाह की आयतें पढ़कर सुनाई जा रही है और उसका रसूल तुम्हारे बीच मौजूद है? जो कोई अल्लाह को मज़बूती से पकड़ ले, वह सीधे मार्ग पर आ गया