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Sura 29
Aya 67
67
أَوَلَم يَرَوا أَنّا جَعَلنا حَرَمًا آمِنًا وَيُتَخَطَّفُ النّاسُ مِن حَولِهِم ۚ أَفَبِالباطِلِ يُؤمِنونَ وَبِنِعمَةِ اللَّهِ يَكفُرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि हमने हरम (मक्का) को अमन व इत्मेनान की जगह बनाया हालॉकि उनके गिर्द व नवाह से लोग उचक ले जाते हैं तो क्या ये लोग झूठे माबूदों पर ईमान लाते हैं और ख़ुदा की नेअमत की नाशुक्री करते हैं