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Sura 29
Aya 46
46
۞ وَلا تُجادِلوا أَهلَ الكِتابِ إِلّا بِالَّتي هِيَ أَحسَنُ إِلَّا الَّذينَ ظَلَموا مِنهُم ۖ وَقولوا آمَنّا بِالَّذي أُنزِلَ إِلَينا وَأُنزِلَ إِلَيكُم وَإِلٰهُنا وَإِلٰهُكُم واحِدٌ وَنَحنُ لَهُ مُسلِمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ ईमानदारों) अहले किताब से मनाज़िरा न किया करो मगर उमदा और शाएस्ता अलफाज़ व उनवान से लेकिन उनमें से जिन लोगों ने तुम पर ज़ुल्म किया (उनके साथ रिआयत न करो) और साफ साफ कह दो कि जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो किताब तुम पर नाज़िल हुई है हम तो सब पर ईमान ला चुके और हमारा माबूद और तुम्हारा माबूद एक ही है और हम उसी के फरमाबरदार है