61أَفَمَن وَعَدناهُ وَعدًا حَسَنًا فَهُوَ لاقيهِ كَمَن مَتَّعناهُ مَتاعَ الحَياةِ الدُّنيا ثُمَّ هُوَ يَومَ القِيامَةِ مِنَ المُحضَرينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीतो क्या वह शख्स जिससे हमने (बेहश्त का) अच्छा वायदा किया है और वह उसे पाकर रहेगा उस शख्स के बराबर हो सकता है जिसे हमने दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) फायदे अता किए हैं और फिर क़यामत के दिन (जवाब देही के वास्ते हमारे सामने) हाज़िर किए जाएँगें