28قالَ ذٰلِكَ بَيني وَبَينَكَ ۖ أَيَّمَا الأَجَلَينِ قَضَيتُ فَلا عُدوانَ عَلَيَّ ۖ وَاللَّهُ عَلىٰ ما نَقولُ وَكيلٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदकहा, "यह मेरे और आपके बीच निश्चय हो चुका। इन दोनों अवधियों में से जो भी मैं पूरी कर दूँ, तो तुझपर कोई ज़्यादती नहीं होगी। और जो कुछ हम कह रहे है, उसके विषय में अल्लाह पर भरोसा काफ़ी है।"