199فَقَرَأَهُ عَلَيهِم ما كانوا بِهِ مُؤمِنينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर वह इसे उन्हें पढ़कर सुनाता तब भी वे इसे माननेवाले न होते