198وَلَو نَزَّلناهُ عَلىٰ بَعضِ الأَعجَمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते