180وَما أَسأَلُكُم عَلَيهِ مِن أَجرٍ ۖ إِن أَجرِيَ إِلّا عَلىٰ رَبِّ العالَمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीमै तो तुमसे इस (तबलीग़े रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा) के ज़िम्मे है