145وَما أَسأَلُكُم عَلَيهِ مِن أَجرٍ ۖ إِن أَجرِيَ إِلّا عَلىٰ رَبِّ العالَمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है)