128أَتَبنونَ بِكُلِّ ريعٍ آيَةً تَعبَثونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या तुम प्रत्येक उच्च स्थान पर व्यर्थ एक स्मारक का निर्माण करते रहोगे?