113إِن حِسابُهُم إِلّا عَلىٰ رَبّي ۖ لَو تَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनका हिसाब तो बस मेरे रब के ज़िम्मे है। क्या ही अच्छा होता कि तुममें चेतना होती।