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Sura 25
Aya 55
55
وَيَعبُدونَ مِن دونِ اللَّهِ ما لا يَنفَعُهُم وَلا يَضُرُّهُم ۗ وَكانَ الكافِرُ عَلىٰ رَبِّهِ ظَهيرًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) ख़ुदा को छोड़कर उस चीज़ की परसतिश करते हैं जो न उन्हें नफा ही दे सकती है और न नुक़सान ही पहुँचा सकती है और काफिर (अबूजहल) तो हर वक्त अपने परवरदिगार की मुख़ालेफत पर ज़ोर लगाए हुए है