28يا وَيلَتىٰ لَيتَني لَم أَتَّخِذ فُلانًا خَليلًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदहाय मेरा दुर्भाग्य! काश, मैंने अमुक व्यक्ति को मित्र न बनाया होता!