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Sura 24
Aya 40
40
أَو كَظُلُماتٍ في بَحرٍ لُجِّيٍّ يَغشاهُ مَوجٌ مِن فَوقِهِ مَوجٌ مِن فَوقِهِ سَحابٌ ۚ ظُلُماتٌ بَعضُها فَوقَ بَعضٍ إِذا أَخرَجَ يَدَهُ لَم يَكَد يَراها ۗ وَمَن لَم يَجعَلِ اللَّهُ لَهُ نورًا فَما لَهُ مِن نورٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(या काफिरों के आमाल की मिसाल) उस बड़े गहरे दरिया की तारिकियों की सी है- जैसे एक लहर उसके ऊपर दूसरी लहर उसके ऊपर अब्र (तह ब तह) ढॉके हुए हो (ग़रज़) तारिकियाँ है कि एक से ऊपर एक (उमड़ी) चली आती हैं (इसी तरह से) कि अगर कोइ शख्स अपना हाथ निकाले तो (शिद्दत तारीकी से) उसे देख न सके और जिसे खुद ख़ुदा ही ने (हिदायत की) रौशनी न दी हो तो (समझ लो कि) उसके लिए कहीं कोई रौशनी नहीं है