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Sura 24
Aya 37
37
رِجالٌ لا تُلهيهِم تِجارَةٌ وَلا بَيعٌ عَن ذِكرِ اللَّهِ وَإِقامِ الصَّلاةِ وَإيتاءِ الزَّكاةِ ۙ يَخافونَ يَومًا تَتَقَلَّبُ فيهِ القُلوبُ وَالأَبصارُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उनमें ऐसे लोग प्रभात काल और संध्या समय उसकी तसबीह करते है जिन्हें अल्लाह की याद और नमाज क़ायम करने और ज़कात देने से न तो व्यापार ग़ाफ़िल करता है और न क्रय-विक्रय। वे उस दिन से डरते रहते है जिसमें दिल और आँखें विकल हो जाएँगी