۞ اللَّهُ نورُ السَّماواتِ وَالأَرضِ ۚ مَثَلُ نورِهِ كَمِشكاةٍ فيها مِصباحٌ ۖ المِصباحُ في زُجاجَةٍ ۖ الزُّجاجَةُ كَأَنَّها كَوكَبٌ دُرِّيٌّ يوقَدُ مِن شَجَرَةٍ مُبارَكَةٍ زَيتونَةٍ لا شَرقِيَّةٍ وَلا غَربِيَّةٍ يَكادُ زَيتُها يُضيءُ وَلَو لَم تَمسَسهُ نارٌ ۚ نورٌ عَلىٰ نورٍ ۗ يَهدِي اللَّهُ لِنورِهِ مَن يَشاءُ ۚ وَيَضرِبُ اللَّهُ الأَمثالَ لِلنّاسِ ۗ وَاللَّهُ بِكُلِّ شَيءٍ عَليمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ख़ुदा तो सारे आसमान और ज़मीन का नूर है उसके नूर की मिसल (ऐसी) है जैसे एक ताक़ (सीना) है जिसमे एक रौशन चिराग़ (इल्मे शरीयत) हो और चिराग़ एक शीशे की क़न्दील (दिल) में हो (और) क़न्दील (अपनी तड़प में) गोया एक जगमगाता हुआ रौशन सितारा (वह चिराग़) जैतून के मुबारक दरख्त (के तेल) से रौशन किया जाए जो न पूरब की तरफ हो और न पश्चिम की तरफ (बल्कि बीचों बीच मैदान में) उसका तेल (ऐसा) शफ्फाफ हो कि अगरचे आग उसे छुए भी नही ताहम ऐसा मालूम हो कि आप ही आप रौशन हो जाएगा (ग़रज़ एक नूर नहीं बल्कि) नूर आला नूर (नूर की नूर पर जोत पड़ रही है) ख़ुदा अपने नूर की तरफ जिसे चाहता है हिदायत करता है और ख़ुदा तो हर चीज़ से खूब वाक़िफ है