وَليَستَعفِفِ الَّذينَ لا يَجِدونَ نِكاحًا حَتّىٰ يُغنِيَهُمُ اللَّهُ مِن فَضلِهِ ۗ وَالَّذينَ يَبتَغونَ الكِتابَ مِمّا مَلَكَت أَيمانُكُم فَكاتِبوهُم إِن عَلِمتُم فيهِم خَيرًا ۖ وَآتوهُم مِن مالِ اللَّهِ الَّذي آتاكُم ۚ وَلا تُكرِهوا فَتَياتِكُم عَلَى البِغاءِ إِن أَرَدنَ تَحَصُّنًا لِتَبتَغوا عَرَضَ الحَياةِ الدُّنيا ۚ وَمَن يُكرِههُنَّ فَإِنَّ اللَّهَ مِن بَعدِ إِكراهِهِنَّ غَفورٌ رَحيمٌ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
और जो लोग निकाह करने का मक़दूर नहीं रखते उनको चाहिए कि पाक दामिनी एख्तियार करें यहाँ तक कि ख़ुदा उनको अपने फज़ल व (करम) से मालदार बना दे और तुम्हारी लौन्डी ग़ुलामों में से जो मकातबत होने (कुछ रुपए की शर्त पर आज़ादी का सरख़त लेने) की ख्वाहिश करें तो तुम अगर उनमें कुछ सलाहियत देखो तो उनको मकातिब कर दो और ख़ुदा के माल से जो उसने तुम्हें अता किया है उनका भी दो और तुम्हारी लौन्डियाँ जो पाक दामन ही रहना चाहती हैं उनको दुनियावी ज़िन्दगी के फायदे हासिल करने की ग़रज़ से हराम कारी पर मजबूर न करो और जो शख्स उनको मजबूर करेगा तो इसमें शक नहीं कि ख़ुदा उसकी बेबसी के बाद बड़ा बख्शने वाले मेहरबान है