12لَولا إِذ سَمِعتُموهُ ظَنَّ المُؤمِنونَ وَالمُؤمِناتُ بِأَنفُسِهِم خَيرًا وَقالوا هٰذا إِفكٌ مُبينٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐसा क्यों न हुआ कि जब तुम लोगों ने उसे सुना था, तब मोमिन पुरुष और मोमिन स्त्रियाँ अपने आपसे अच्छा गुमान करते और कहते कि "यह तो खुली तोहमत है?"