98وَأَعوذُ بِكَ رَبِّ أَن يَحضُرونِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर मेरे रब! मैं इससे भी तेरी शरण चाहता हूँ कि वे मेरे पास आएँ।" -