75۞ وَلَو رَحِمناهُم وَكَشَفنا ما بِهِم مِن ضُرٍّ لَلَجّوا في طُغيانِهِم يَعمَهونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि हम (किसी आज़माइश में डालने के पश्चात) उनपर दया करते और जिस तकलीफ़ में वे होते उसे दूर कर देते तो भी वे अपनी सरकशी में हठात बहकते रहते