71وَلَوِ اتَّبَعَ الحَقُّ أَهواءَهُم لَفَسَدَتِ السَّماواتُ وَالأَرضُ وَمَن فيهِنَّ ۚ بَل أَتَيناهُم بِذِكرِهِم فَهُم عَن ذِكرِهِم مُعرِضونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर यदि सत्य कहीं उनकी इच्छाओं के पीछे चलता तो समस्त आकाश और धरती और जो भी उनमें है, सबमें बिगाड़ पैदा हो जाता। नहीं, बल्कि हम उनके पास उनके हिस्से की अनुस्मृति लाए है। किन्तु वे अपनी अनुस्मृति से कतरा रहे है