115أَفَحَسِبتُم أَنَّما خَلَقناكُم عَبَثًا وَأَنَّكُم إِلَينا لا تُرجَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतो क्या तुमने यह समझा था कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और यह कि तुम्हें हमारी और लौटना नहीं है?"