113قالوا لَبِثنا يَومًا أَو بَعضَ يَومٍ فَاسأَلِ العادّينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीवह कहेंगें (बरस कैसा) हम तो बस पूरा एक दिन रहे या एक दिन से भी कम