109إِنَّهُ كانَ فَريقٌ مِن عِبادي يَقولونَ رَبَّنا آمَنّا فَاغفِر لَنا وَارحَمنا وَأَنتَ خَيرُ الرّاحِمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीमेरे बन्दों में से एक गिरोह ऐसा भी था जो (बराबर) ये दुआ करता था कि ऐ हमारे पालने वाले हम ईमान लाए तो तू हमको बख्श दे और हम पर रहम कर तू तो तमाम रहम करने वालों से बेहतर है