105أَلَم تَكُن آياتي تُتلىٰ عَلَيكُم فَكُنتُم بِها تُكَذِّبونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(उस वक्त हम पूछेंगें) क्या तुम्हारे सामने मेरी आयतें न पढ़ी गयीं थीं (ज़रुर पढ़ी गयी थीं) तो तुम उन्हें झुठलाया करते थे