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Sura 22
Aya 45
45
فَكَأَيِّن مِن قَريَةٍ أَهلَكناها وَهِيَ ظالِمَةٌ فَهِيَ خاوِيَةٌ عَلىٰ عُروشِها وَبِئرٍ مُعَطَّلَةٍ وَقَصرٍ مَشيدٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ग़रज़ कितनी बस्तियाँ हैं कि हम ने उन्हें बरबाद कर दिया और वह सरकश थीं पस वह अपनी छतों पर ढही पड़ी हैं और कितने बेकार (उजडे क़ुएँ और कितने) मज़बूत बड़े-बड़े ऊँचे महल (वीरान हो गए)