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Sura 22
Aya 40
40
الَّذينَ أُخرِجوا مِن دِيارِهِم بِغَيرِ حَقٍّ إِلّا أَن يَقولوا رَبُّنَا اللَّهُ ۗ وَلَولا دَفعُ اللَّهِ النّاسَ بَعضَهُم بِبَعضٍ لَهُدِّمَت صَوامِعُ وَبِيَعٌ وَصَلَواتٌ وَمَساجِدُ يُذكَرُ فيهَا اسمُ اللَّهِ كَثيرًا ۗ وَلَيَنصُرَنَّ اللَّهُ مَن يَنصُرُهُ ۗ إِنَّ اللَّهَ لَقَوِيٌّ عَزيزٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ये वह (मज़लूम हैं जो बेचारे) सिर्फ इतनी बात कहने पर कि हमारा परवरदिगार खुदा है (नाहक़) अपने-अपने घरों से निकाल दिए गये और अगर खुदा लोगों को एक दूसरे से दूर दफा न करता रहता तो गिरजे और यहूदियों के इबादत ख़ाने और मजूस के इबादतख़ाने और मस्जिद जिनमें कसरत से खुदा का नाम लिया जाता है कब के कब ढहा दिए गए होते और जो शख्स खुदा की मदद करेगा खुदा भी अलबत्ता उसकी मदद ज़रूर करेगा बेशक खुदा ज़रूर ज़बरदस्त ग़ालिब है