You are here: Home » Chapter 22 » Verse 11 » Translation
Sura 22
Aya 11
11
وَمِنَ النّاسِ مَن يَعبُدُ اللَّهَ عَلىٰ حَرفٍ ۖ فَإِن أَصابَهُ خَيرٌ اطمَأَنَّ بِهِ ۖ وَإِن أَصابَتهُ فِتنَةٌ انقَلَبَ عَلىٰ وَجهِهِ خَسِرَ الدُّنيا وَالآخِرَةَ ۚ ذٰلِكَ هُوَ الخُسرانُ المُبينُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और लोगों में से कुछ ऐसे भी हैं जो एक किनारे पर (खड़े होकर) खुदा की इबादत करता है तो अगर उसको कोई फायदा पहुँच गया तो उसकी वजह से मुतमईन हो गया और अगर कहीं उस कोई मुसीबत छू भी गयी तो (फौरन) मुँह फेर के (कुफ़्र की तरफ़) पलट पड़ा उसने दुनिया और आखेरत (दोनों) का घाटा उठाया यही तो सरीही घाटा है