11وَمِنَ النّاسِ مَن يَعبُدُ اللَّهَ عَلىٰ حَرفٍ ۖ فَإِن أَصابَهُ خَيرٌ اطمَأَنَّ بِهِ ۖ وَإِن أَصابَتهُ فِتنَةٌ انقَلَبَ عَلىٰ وَجهِهِ خَسِرَ الدُّنيا وَالآخِرَةَ ۚ ذٰلِكَ هُوَ الخُسرانُ المُبينُफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर लोगों में कोई ऐसा है, जो एक किनारे पर रहकर अल्लाह की बन्दगी करता है। यदि उसे लाभ पहुँचा तो उससे सन्तुष्ट हो गया और यदि उसे कोई आज़माइश पेश आ गई तो औंधा होकर पलट गया। दुनिया भी खोई और आख़िरत भी। यही है खुला घाटा