97وَاقتَرَبَ الوَعدُ الحَقُّ فَإِذا هِيَ شاخِصَةٌ أَبصارُ الَّذينَ كَفَروا يا وَيلَنا قَد كُنّا في غَفلَةٍ مِن هٰذا بَل كُنّا ظالِمينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर क़यामत का सच्चा वायदा नज़दीक आ जाए तो फिर काफिरों की ऑंखें एक दम से पथरा दी जाएँ (और कहने लगे) हाय हमारी शामत कि हम तो इस (दिन) से ग़फलत ही में (पड़े) रहे बल्कि (सच तो यूँ है कि अपने ऊपर) हम आप ज़ालिम थे