90فَاستَجَبنا لَهُ وَوَهَبنا لَهُ يَحيىٰ وَأَصلَحنا لَهُ زَوجَهُ ۚ إِنَّهُم كانوا يُسارِعونَ فِي الخَيراتِ وَيَدعونَنا رَغَبًا وَرَهَبًا ۖ وَكانوا لَنا خاشِعينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअतः हमने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे याह्या् प्रदान किया और उसके लिए उसकी पत्नी को स्वस्थ कर दिया। निश्चय ही वे नेकी के कामों में एक-दूसरे के मुक़ाबले में जल्दी करते थे। और हमें ईप्सा (चाह) और भय के साथ पुकारते थे और हमारे आगे दबे रहते थे