87وَذَا النّونِ إِذ ذَهَبَ مُغاضِبًا فَظَنَّ أَن لَن نَقدِرَ عَلَيهِ فَنادىٰ فِي الظُّلُماتِ أَن لا إِلٰهَ إِلّا أَنتَ سُبحانَكَ إِنّي كُنتُ مِنَ الظّالِمينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर ज़ुन्नून (मछलीवाले) पर भी दया दर्शाई। याद करो जबकि वह अत्यन्त क्रद्ध होकर चल दिया और समझा कि हम उसे तंगी में न डालेंगे। अन्त में उसनें अँधेरों में पुकारा, "तेरे सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं, महिमावान है तू! निस्संदेह मैं दोषी हूँ।"