2ما يَأتيهِم مِن ذِكرٍ مِن رَبِّهِم مُحدَثٍ إِلَّا استَمَعوهُ وَهُم يَلعَبونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउनके पास जो ताज़ा अनुस्मृति भी उनके रब की ओर से आती है, उसे वे हँसी-खेल करते हुए ही सुनते है