111وَإِن أَدري لَعَلَّهُ فِتنَةٌ لَكُم وَمَتاعٌ إِلىٰ حينٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर मैं ये भी नहीं जानता कि शायद ये (ताख़ीरे अज़ाब तुम्हारे) वास्ते इम्तिहान हो और एक मुअय्युन मुद्दत तक (तुम्हारे लिए) चैन हो