102لا يَسمَعونَ حَسيسَها ۖ وَهُم في مَا اشتَهَت أَنفُسُهُم خالِدونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(यहाँ तक) कि ये लोग उसकी भनक भी न सुनेंगे और ये लोग हमेशा अपनी मनमाँगी मुरादों में (चैन से) रहेंगे