102لا يَسمَعونَ حَسيسَها ۖ وَهُم في مَا اشتَهَت أَنفُسُهُم خالِدونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवे उसकी आहट भी नहीं सुनेंगे और अपनी मनचाही चीज़ों के मध्य सदैव रहेंगे