89أَفَلا يَرَونَ أَلّا يَرجِعُ إِلَيهِم قَولًا وَلا يَملِكُ لَهُم ضَرًّا وَلا نَفعًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या वे देखते न थे कि न वह किसी बात का उत्तर देता है और न उसे उनकी हानि का कुछ अधिकार प्राप्त है और न लाभ का?