76جَنّاتُ عَدنٍ تَجري مِن تَحتِهَا الأَنهارُ خالِدينَ فيها ۚ وَذٰلِكَ جَزاءُ مَن تَزَكّىٰफ़ारूक़ ख़ान & नदवीवह सदाबहार बाग़ात जिनके नीचे नहरें जारी हैं वह लोग उसमें हमेशा रहेंगे और जो गुनाह से पाक व पाकीज़ा रहे उस का यही सिला है