76جَنّاتُ عَدنٍ تَجري مِن تَحتِهَا الأَنهارُ خالِدينَ فيها ۚ وَذٰلِكَ جَزاءُ مَن تَزَكّىٰफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअदन के बाग़ है, जिनके नीचें नहरें बहती होंगी। उनमें वे सदैव रहेंगे। यह बदला है उसका जिसने स्वयं को विकसित किया--