42اذهَب أَنتَ وَأَخوكَ بِآياتي وَلا تَنِيا في ذِكرِيफ़ारूक़ ख़ान & नदवीतुम अपने भाई समैत हमारे मौजिज़े लेकर जाओ और (देखो) मेरी याद में सुस्ती न करना