18قالَ هِيَ عَصايَ أَتَوَكَّأُ عَلَيها وَأَهُشُّ بِها عَلىٰ غَنَمي وَلِيَ فيها مَآرِبُ أُخرىٰफ़ारूक़ ख़ान & नदवीअर्ज़ की ये तो मेरी लाठी है मैं उस पर सहारा करता हूँ और इससे अपनी बकरियों पर (और दरख्तों की) पत्तियाँ झाड़ता हूँ और उसमें मेरे और भी मतलब हैं